भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही पालना योजना का उद्देश्य उन माताओं को सहयोग देना है जो कार्यरत हैं. छोटे बच्चों की देखभाल के लिए सुरक्षित, पोषक और विकास योग्य वातावरण की आवश्यकता होती है। यह योजना वर्ष 2022 में पुनः संरचित होकर मिशन शक्ति के अंतर्गत “समर्थ्य” उप-योजना के रूप में लागू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत day-care crèche facilities दी जाती है, ताकि महिलाये बिना मानसिक तनाव के नौकरी कर सके . महिलाओं के लिए उनके बच्चो की देख रेख सबसे महत्वपूर्ण होती हैं , इस योजना के कारण महिलाओं को मदद होगी.

पालना योजना प्रमुख विशेषताएं:
- पालना योजना 6 महीने से लेकर 6 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए क्रेच सेवाएं उपलब्ध कराती है।
- पालना योजना में बच्चों को पोषणयुक्त आहार, नियमित स्वास्थ्य निगरानी और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा मिलती है।
- पालना योजना से कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल की चिंता से राहत मिलती है और वे आत्मनिर्भर बन पाती हैं।
पालना योजना को प्रदान वित्तीय सहायता :
- सामान्य राज्यों में इस योजना को केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 60:40 अनुपात में वित्तीय सहयोग से संचालित करते हैं।
- उत्तर-पूर्व और विशेष श्रेणी वाले राज्यों में यह अनुपात 90:10 होता है।
- वहीं संघ शासित प्रदेशों (जहां विधानसभा नहीं है) में यह योजना पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित होती है।
पालना योजना की उपलब्धियाँ
- देशभर के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 11,395 आंगनवाड़ी-कम-क्रेच केंद्र (AWCCs) की स्वीकृति मिल चुकी है।
- इनमें से 1,761 केंद्र पहले से कार्यरत हैं, जहाँ लगभग 28,783 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।
- इसके अतिरिक्त, देश में 1,284 स्वतंत्र क्रेच केंद्र भी चल रहे हैं, जिनमें 23,368 बच्चों को सेवाएं मिल रही हैं।
आगामी लक्ष्य (2024-25):
- सरकार का उद्देश्य है कि आगामी वित्तीय वर्ष में 17,000 नए आंगनवाड़ी-कम-क्रेच केंद्रों की स्थापना की जाए, ताकि और अधिक माताओं और बच्चों को इस योजना का लाभ मिल सके।
पालना योजना ना सिर्फ बच्चों की देखभाल और पोषण की व्यवस्था करती है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी एक प्रभावशाली कदम है। यह योजना समाज में बाल विकास और महिला सहभागिता को मजबूत करने के उद्देश्य से निरंतर आगे बढ़ रही है।